Sunday, December 6, 2009

सुविधा या समझ

बाबिल से .............
ईसा एक गाव से हो कर जा रहे थे तो उन्होंने देखा एक व्यक्ति को वेश्या के पीछे भागते हुई देखा। व्यक्ति का चेहरा उन्हें कुछ पहचाना-सा लगा। ईसा ने उसे रोका और पुराणी घटना याद करते हुए कहा "अरे ! तू तो वही है जीसे दो वर्ष पूर्व अपने अंधेपन से छुटकारा दिलाने के लिये मुझे गुहार की थी और मैं परमात्मा से याचना करके तुझे नेत्र-ज्योति दिलवाई थी।"
उस व्यक्ति ने ईसा को पहचान लिया और कहा "आप सच कहते हैं।"
"मैं तुम्हे दृष्टी क्या इसलिये दिलवाई थी की तुम एईसे घिनोने काम करो ।" ईसा दुखी होकर कहा ।
व्यक्ति कुछ देर तक आंसू बहता रहा , फिर उस ने ईसा के चरण चूम कर कहा ,"आप में नेत्र -ज्योति दिलाने की सामर्थ्य थी, परन्तु विवेक द्र्स्थी दिलाई होती तो कितना अच्हा होता।"
ईसा ने आज एक नया पाठ पढ़ा। फिर वे लोगो को सुविधा दिलाने की अपेक्षा उनकी समझ सुधरने को परत्मिकता देने लगे।
सुधीर निगम
१०४ /३१५, रामबाग
कानपूर

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