Thursday, December 31, 2009

नव वर्ष 2010

"शुभकामनाये नव वर्ष की"
नव वर्ष, नयी आशाएं, नयी उमंग.............! एक नयी उम्मीद नए वर्ष से की ये साल हमरी उम्मीदों का साल होगा जिस में हमारे अधूरे सपने पुरे होंगे, हम नयी ऊँचाइयों को प्राप्त करेंगे।

इन्ही आशाओ के साथ नव वर्ष मंगलम्ये हो
HAPPY NEW YEAR
2010

Sunday, December 6, 2009

सुविधा या समझ

बाबिल से .............
ईसा एक गाव से हो कर जा रहे थे तो उन्होंने देखा एक व्यक्ति को वेश्या के पीछे भागते हुई देखा। व्यक्ति का चेहरा उन्हें कुछ पहचाना-सा लगा। ईसा ने उसे रोका और पुराणी घटना याद करते हुए कहा "अरे ! तू तो वही है जीसे दो वर्ष पूर्व अपने अंधेपन से छुटकारा दिलाने के लिये मुझे गुहार की थी और मैं परमात्मा से याचना करके तुझे नेत्र-ज्योति दिलवाई थी।"
उस व्यक्ति ने ईसा को पहचान लिया और कहा "आप सच कहते हैं।"
"मैं तुम्हे दृष्टी क्या इसलिये दिलवाई थी की तुम एईसे घिनोने काम करो ।" ईसा दुखी होकर कहा ।
व्यक्ति कुछ देर तक आंसू बहता रहा , फिर उस ने ईसा के चरण चूम कर कहा ,"आप में नेत्र -ज्योति दिलाने की सामर्थ्य थी, परन्तु विवेक द्र्स्थी दिलाई होती तो कितना अच्हा होता।"
ईसा ने आज एक नया पाठ पढ़ा। फिर वे लोगो को सुविधा दिलाने की अपेक्षा उनकी समझ सुधरने को परत्मिकता देने लगे।
सुधीर निगम
१०४ /३१५, रामबाग
कानपूर

Saturday, December 5, 2009

सोच

एक कहानी पढ़ी कहानी कुछ इस प्रकार थी ..............
एक परिवार जो मधियम वर्ग का था शहर में रहता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर ता है । एक दिन उन के चाचा जी आते हैं । पति पत्नी उन्हें देखकर परेशान हो जाते है की कहीं ये हम से कुछ पैसा आदि न मांग ले ...........
परिवार तनाव में । पति सोचता है की अभी खर्चा अधिक है बचे की फीस, लड़की की दवाई और अन्य खर्चे भी हैं । और चाचा जी भी आ गए ।
इसी उधेड़बुन में खाना खाया जाता है परन्तु चाचा जी खाने के बाद उनको दस हज़ार रुपये दे कर वापस चले जाते हैं दोनों पति पत्नी एक दुसरे को देखते हुए सोचते रह्जाते हैं...............!
शायद यह हर घर की कहानी है ..........उस व्यक्ति की जगह मैं भी हो ता तो यही सोचता क्योकि आज के हालात हैं यह सब करने व् सोच ने पैर मजबूर कर देते हैं.............................!

Friday, December 4, 2009

आज कल के शहरी वातावरण में रिश्ते किस प्रकार अपना अर्थ खोते जा रहे हैं इस का उदहारण में आप को कल एक कहानी के दुवारा दूऊँगा । दरअसल आज कल की महगाई बढाती, जिमय्दारियां आदि आदमी को यह सब कर ने के लिया मजबूर कर देती हैं
शेष कल..............!